सूर्य मंदिर (देव बालार्क) देवकली देवलास
भारत में उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की मोहम्मदाबाद गोहना तहसील में स्थित देवकली देवलास, मऊ जिले के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है । मऊ शहर से करीब 28 कि.मी. पश्चिम एवं उत्तर के कोने में तथा आजमगढ़ शहर से पूरब दिशा में लगभग 30 कि.मी. की दूरी पर मोहम्मदाबाद गोहना - घोसी रोड पर स्थित देवल ऋषि की तपोस्थली के रूप में विख्यात यह छोटा सा स्थान अपने अंदर अनेक विशेषताओं को समेटे हुए है।
सूर्य मंदिर (देव बालार्क) और छठ मेला हैं मुख्य पहचान
यहॉं विद्यमान सूर्य मंदिर (देव बालार्क), मंदिर के पास स्थित तालाब (देवताल) और हर वर्ष छठ के अवसर पर यहॉं लगने वाला मेला, जो देवलास मेला के नाम से प्रसिद्ध है, इस स्थान की प्रमुख पहचान है । सर्व विदित है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भारत में सूर्य उपासना का महापर्व छठ अत्यंत धूम-धाम से मनाया जाता है । उसी अनुसार “देवल बाबा का मंदिर” के नाम से विख्यात देवकली देवलास स्थित इस सूर्य मंदिर पर भी सूर्योपासना का यह महापर्व अत्यंत आदर, श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस अवसर पर यहॉं एक विशाल मेला भी लगता है । मेले में आस-पास के जिलों के अलावा प्रदेश के अन्य सुदूर जिलों से भी दुकानें लगाने वाले, झूले वाले, सर्कस व थियेटर आदि आते हैं तथा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के भी आयोजन किए जाते हैं ।
बहुत प्राचीन और पौराणिक हैं सूर्य मंदिर और मेला
छठ के दिन से प्रारम्भ होकर लगभग एक सप्ताह तक चलने वाला यह मेला कितना प्राचीन है इसका कोई दस्तावेजी प्रमाण तो ज्ञात नहीं है परन्तु ऐसा माना जाता है कि इस मेले की शुरूआत कई सौ साल पहले हुई होगी । अंग्रेज आई. सी. एस. अधिकारी डी. एल. ड्रेक – ब्रोकमैन द्वारा संपादित व संकलित तथा सन 1911 में प्रकाशित आज़मगढ़ के गजेटियर में भी इस मेले का उल्लेख मिलता है । गजेटियर के पृष्ट 65 पर लिखा है
“The only other fair which deserves mention is the Deolas fair in pargana Muhhamadabad, which is also known as the Lalri Chhath and is held on the sixth of the light half of Kartik. Deolas is famous in the district for its lake and temple of sun ; and at the fair, to which considerable numbers resort from the neighbouring parganas, a thriving business is done by the shopkeepers.”
स्पष्ट है कि देवकली देवलास स्थित सूर्य मंदिर (देव बालार्क), तालाब (देवताल) और छठ पर लगने वाला मेला, ये तीनों ही अत्यंत प्राचीन हैं । यह सूर्य मंदिर उड़ीसा के कोणार्क, काशी के लोलार्क और देश में विद्यमान कुछ अन्य गिने-चुने सूर्य मंदिरों में से एक है । इस मंदिर में भगवान सूर्य के बाल स्वरूप बालार्क के दर्शन होते हैं । श्री विजयेन्द्र कुमार माथुर अपनी पुस्तक ऐतिहासिक स्थानावली में लिखते हैं कि “देवलास का प्राचीन नाम देवलार्क हुआ करता था, जिसका अर्थ 'सूर्य मन्दिर' है”।
प्राचीन अयोध्या साम्राज्य और गुप्त काल से जुड़ा है संबंध
ऐसी भी मान्यता है कि प्राचीन काल में देवलास अयोध्या साम्राज्य का पूर्वी द्वार था । आज़मगढ़ के गजेटियर के पृष्ट 156 पर लिखा है
इस स्थान को भगवान राम के साथ जोड़ के देखा जाता है । इस संबंध में दो तरह की बातें कहीं जाती हैं । एक तो यह कि भगवान राम ने वनगमन के समय इस स्थान पर रात्रि विश्राम किया था और यहॉं सूर्य की उपासना करने के बाद सूर्य मंदिर के निर्माण हेतु आधारशिला रखी और बाद में गुप्त कालीन शासक विक्रमादित्य ने यहां सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया । यह मत व्यक्त करने वाले लोग रामचरित मानस की पंक्ति
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